तेरी हर बात महोब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे है खसारा करके
मुन्तजिर हूँ के सितारों की जरा आँख लगे
चाँद को छत पर बुला लूँगा इशारा करके
आसमानों की तरफ फैंक दिया है मैने
चंद मिटटी के चरागों को सितारा करके
मै वो दरिया हूँ की हर बूंद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके
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